Last modified on 25 नवम्बर 2010, at 22:49

जवानी : बुढ़ापो / सांवर दइया

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:49, 25 नवम्बर 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हां ऽऽ,
बा आवती दीसी तो सरी
पण ठैरी कोनी
अळघै सूं ई निसरगी
दे झोलो
ले ओलो
लोग कैवै-
जवानी ही बा !

पण म्हारै कनै तो है अबै
सळां भरी चामड़ी
गूगळी दीठ
पींडियां में सरणियां
बूकीया में चबका

म्हैं जाणू-
बुढापो है ओ !