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बेकार हो गया है / केदारनाथ अग्रवाल

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बेकार हो गया है
राग और रागिनियों का
गणित अब पहले का
संगीत से समाज को
नहीं बना सकता
तबले का वही-वही ठेका।

रचनाकाल: ३०-१२-१९७०