भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लड़की पतंग लूटना चाहती है / डॉ. सत्यनारायण सोनी
Kavita Kosh से
Ajayparlika (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:06, 27 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: आसमान में उड़ती पतंगों को निहार रही है छत पर खड़ी गुडिय़ा-सी बिट…)
आसमान में
उड़ती पतंगों को
निहार रही है
छत पर खड़ी
गुडिय़ा-सी बिटिया।
दिख गया उसे
आसमान चीरता
एक हवाई जहाज।
बोली-
पापा,
हवाई जहाज ला दो ना!
विस्फारित नेत्रों
पढ़ा पिता ने
बेटी का चेहरा
और मुस्कराए।
बेटी ने गड़ा दीं आंखें
पिता की आंखों में,
ला दो ना पापा,
हम हवाई जहाज पर चढ़
पतंग लूटेंगे।
सचमुच,
लड़की पतंग लूटना चाहती है
वह भी
दौडऩा चाहती है
गलियों में उन्मुक्त।
अब मर्जी तुम्हारी।