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दूज रो चांद / रामस्वरूप किसान

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रात रै
गळ में
हंसली
दूज रौ चांद

आभै में पड़ी
दांती
दूज रौ चांद

घड़ी एक नै दांती
हंसली काट‘र
दिखै जांती

अर
रात रौ रंग
काळौ कुट्ट।