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एक झूठ और: एक सांच और / रामस्वरूप किसान
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लोग रोजीना
झूठ बोलै
अर कैवै
म्हे कदे ई
झूठ नीं बोल्या
बै आ कैय‘र
एक झूठ और बोलै
बो आज
रामसरण हुग्यौ
आखै जीवन
एकर झूठ बोल्यौ
जिण नैं बो
हांस‘र कबूलतौ
बीं रौ ओ कबूलणौं
एक सांच और ही।
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