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चौपट-पौपट / शिवराज भारतीय
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एक था चौपट, एक था पौपट।
दोनों अल्हड़, मोटे नटखट।
पढ़ने का कभी नाम न लेते,
खाते-पीते और झगड़ते।
कौड़ी-कंचे उनके खेल,
ऊधम करते रेलम-पेल
कभी किसी का कान खींचते,
कभी किसी का पैर पींचते।
मास्टरजी समझाकर हारे,
दुःखी बहुत थे उनसे सारे।
उनका एक भाई भोलू था,
बड़ा ही सीधा और सरल था।
बस पढ़ना ही उसका काम,
बड़ो को करता सदा सलाम।
बीता साल परीक्षा आई,
चौपट-पौपट पर आफत आई।
फिर भी छोड़ा नही पतंग,
पेपर देखके रहते दंग।
परीक्षा का परिणाम निकाला,
भोलू भैया अव्वल आया।
चौपट-पौपट हो गए फेल,
धरे रह गए उनके खेल।
भोलू को जब मिला ईनाम,
चौपट-पौपट की नींद हराम।
उनके बात समझ में आई,
दोनों ने की शुरू पढ़ाई।