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घर में रमती कवितावां 22 / रामस्वरूप किसान

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आमणैं-सामणैं रा
दो कैदी-
आंगणौ अर छात

परस रा भूखा
सलाखां मांकर पसारै हाथ

पण, सूत भर री छेती
रैयज्यै हर बार।