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समय को पी रहा मैं / केदारनाथ अग्रवाल

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समय को पी रहा मैं
पानी की तरह
जी रहा मैं जमीन में पड़ा
समय भी पी रहा मुझे
पानी की तरह
जी रहा समय
जमीन में पड़ा

रचनाकाल: ०२-११-१९७५