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फरक / शिवराज भारतीय
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देखणै में तो
घणो फरक दीसै
ना हाथी दीसै
ना घोड़ा
ना रथ दीसै
ना पालकी
ना सिंहासण दीसै
ना ढूळीजता चंवर
कदै-कदै लागै
जाणै स्यात्
राजशाही कदैई गई
अबै तो लोकतंतर इज है
राज रा पायक
गांव री गळियां में
दीसै तो है ई
भलैई पांच-च्यार सालां में
एक बार ई
वांरै पाखती
कांई बी नीं
हाथी-घोड़ा पालकी
सिंहासण अनै चंवरां सूं
साव अळगा
धोळा धप्प गा‘भां पैरया
उंपाळा ई चालता दीसै
पण पांच सालां तांई
वांरो अदीठ रैवणो
वांरै आखती-पाखती
हाथ जोड्यां
मोटै हुजूम रो गिरगिरावणो
अर वां रा जै‘कारा
मोटै मंचा ऊबा होय‘र
आथ सूं
जाणैं आसीरवाद देंवता
अर ऊंडा मुळकता
जद वै लखावै
तो लागै जाणैं
राजशाही
चोळा बदळदयो है
लोकतंतर
हाल घणो अळगो है।