धृतराष्ट्र कई हैं 
तुम भी 
मैं भी 
वे भी 
संजय भी कई हैं 
तुम भी 
मैं भी 
वे भी 
चश्मे कई रंग के हैं 
लाल 
हरे 
केसरिया 
मैदान भी कई हैं 
रामलीला 
धर्मशाला 
चेपक 
धर्मयुद्ध भी कई हैं 
तेरे 
मेरे 
उसके 
सुविचारित रूप से 
पूरा युग अंधा है।