अच्छा आदमी सब ओर बस जाएगा / संजय अलंग
पैसा आएगा तो उड़ेगा ही
ऐसा कैसा पैसा जो आए और
अपने पर ही न ख़र्च हो
जब अच्छा आदमी ज़मीन लेगा तो
खूब पैसा देगा
पैसा आएगा तो यहाँ-वहाँ जाएगा
ज़मीन तो अच्छा आदमी ही लेगा
कानून बनाएगा
नहीं, अच्छा कानून बनाएगा
क़ायदे का ही काम होगा
पैसा देगा, काम भी
जमीन जाएगी, जाए
पेड़, पहाड़, नदी, ज़ानवर
नाच-गाने, किताब, बोली
तान-बान, इज्ज़त, आबरू
शासन, संस्कृति
साथ जाएँ तो, जाएँ
पैसा तो आएगा
दाम भी, काम भी
अच्छी कालोनी में छोटा घर
न जंगल का डर
न गोरू का काम
बस दाम ही दाम
अच्छा आदमी कानून तो बनाएगा
यह ही स्वतंत्रता का रास्ता, यह समझाएगा
वो बड़े वाले देश में भी
कानून ही कानून आए
न्याय की गुहार में दाम भी पाए
पूरी जगह अच्छे आदमी ही छाए
कभी आर्य, कभी ब्राह्मण, कभी अमेरिकी कहलाए
कौन इण्डियन, कौन दस्यु, कौन दैत्य,
कौन गोंड़, कौन भील, कौन फिलीस्तीनी,
कौन ईराकी- मैं की जाँणां मैं कौंण?
पैसा आएगा तो जाएगा
विकास भी लाएगा
भर-भर मुट्ठी फूल उड़ाएगा
छम-छम करती नचनिया पाएगा
जमीन तो स्थिर है उसे ही ले जाएगा
कर्मशील दस्यु ही चल संपत्ति है
उसे ही हटाएगा
कितने अच्छे सुन्दर न्यायपूर्ण कानून लाएगा
पुस्तक, आस्था, हाथ देकर
श्रद्धा से आँखे बन्द कराएगा
फिर गद्दी पर भी वह ही जाएगा
अच्छा आदमी अच्छा ही कहलाएगा
वह सदा ही हटता है
नई जगह खोजता है
यही विकास विस्तार है
एक जगह टिकाव तो रुकना है
तुम्हे भी बढ़ना सिखाएगा
अच्छा आदमी तुम्हे भी हटाएगा
अपने में सम्मलित होने की बात चलाएगा
बड़ा वाला एक गाँव बनाएगा
बाकी किस काम के
एक गाँव, एक धर्म, एक संस्कृति को जमा जाएगा
अच्छा आदमी और कानून लाएगा
समझौते से मध्य रास्ता निकलवाएगा
अच्छा आदमी धीरे-धीरे पूरा बसता जाएगा
सब जानेंगें कैसे हुआ
भेद भी खोलेंगें
पर कोई कुछ नहीं कर पाएगा
अच्छा आदमी सब ओर बस जाएगा