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अजनबी / बाद्लेयर / सुरेश सलिल
Kavita Kosh से
‘तुम सबसे बढ़कर किसे प्यार करते हो, अबूझ आदमी,
पिता को, माँ को, भाई को या बहन को ?’
‘मेरा कोई पिता नहीं, कोई माँ नहीं, बहन या भाई नहीं ।’
‘दोस्त ?’
‘अब तुम एक ऐसा लफ़्ज बरत रहे हो, जिसका मतलब
आज के दिन तक मुझे पता नहीं ।’
‘तुम्हारा मुल्क ?’
‘नहीं जानता वो किस अक्षांश में है ।’
‘हुस्न ?’
‘मैं बेशक उसे प्यार करता, बशर्ते वह कोई देवी होता और मृत्यु से परे होता ।’
‘सोना ?’
‘उससे मुझे वैसी ही नफ़रत है, जैसी तुम्हें ईश्वर से।’
‘तब किसे प्यार करते हो तुम, अबूझ अजनबी ?’
‘मैं बादलों को प्यार करता हूँ... गुज़रते हुए बादलों को —
व्वो!... वहाँ!... उन हैरतअंगेज़ बादलों को ।’
अंग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल