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अजीब बात / सदानंद सुमन
Kavita Kosh से
मैं सुना रहा हूँ
तुम्हारे कान बन्द हैं!
मैं दिखा रहा हूँ
तुम किये जा रहे अनदेखी!
मैं हाँफ रहा हूँ
तुम्हें आ रही हँसी!
मैं पिस रहा हूँ
तुम पीसने वालों के साथ हो!
कितनी अजीब बात है
फिर भी कह रहे तुम
'मैं तुम्हारे साथ हूँ।'