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अज्ञानता / जटाधर दुबे
Kavita Kosh से
हम्में स्वयं में पूर्ण छेलियै
परन्तु तोरा देखी केॅ
एक नै भरै वाला
खालीपन हृदय में
उभरी केॅ आबी गेलोॅ छै
नै कहेॅ सकौं
कमी की छेलै वहाँ पर
मतुर
जबेॅ भी हम्में
तोरा नगीच आवै छी
संतोष मिलै छै
आत्मा केॅ भी
आरो मनोॅ केॅ भी
आरो पूर्णता
लौटी आवै छै।