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अथ राग कल्याण / दादू ग्रंथावली / दादू दयाल

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अथ राग कल्याण

(गायन समय संध्या 6 से 9 रात्रि)

96. उपदेश चेतावनी। त्रिताल

मन मेरे कुछ भी चेत गँवार,
पीछे फिर पछतायेगा रे, आवे न दूजी बार॥टेक॥
काहे रे मन भूल्यो फिरत है, काया सोच-विचार।
जिन पंथों चलणा है तुझको, सोई पंथ सँवार॥1॥
आगे बाट विषम जो मन रे, जैसी खांडे की धार।
दादू दास सांई सैं सूत कर, कूड़े काम निवार॥2॥

97. परिचय। त्रिताल

जग सौं कहा हमारा, जब देख्या नूर तुम्हारा॥टेक॥
परम तेज घर मेरा, सुख सागर माँहिं बसेरा॥1॥
झिलमिल अति आनन्दा, तहँ पाया परमानन्दा॥2॥
ज्योति अपार अनन्ता, खेलैं फाग वसन्ता॥3॥
आदि-अन्त सुस्थाना, जन दादू सो पहचाना॥4॥

॥इति राग कल्याण सम्पूर्ण॥