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अनमोल मोती / लता सिन्हा ‘ज्योतिर्मय’

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हर एक मोती की महत्ता
हार बन कर ही बढ़े
हो योग्यता लाखों सही
यदि असामाजिक, व्यर्थ रे...

मनु, ज्ञान और संतान के
बल पर ही विकसित हो सका
पर व्यक्तिगत हित में छुपाए
स्वार्थ को न खो सका...

संज्ञान जनहित की लिए
हर स्वार्थ से जब हों परे
रच डाले कीर्तिमान स्वयं
विख्यात जग उसको करे...

उत्थान है स्वयं का निहित
यदि जग का भी कल्याण हो
वही क्रांतिकारी बन सका
जिसने लुटाया प्राण हो...

जहाँ नीतियाँ न हो भ्रमित
न विकृति आदान हो
कर राष्ट्र से अनुबंध यह
निज-श्रेष्ठता का ध्यान हो...

जो ठान लें, संकल्प शक्ति
नीति निर्धारित करें
तभी युग बदलता, कल्प भी
ये ज्योतिर्मय पारित करे...