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अनुकूल वायु तुम्हें धीमे-धीमे चला रही / कालिदास
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मन्दं मन्दं नुदति पवनश्चानुकूलो यथा त्वां
वामश्चायं नदति मधुरं चाकतस्ते सगन्ध:।
गर्भाधानक्षणपरिचयान्नूनमाबद्धमाला:
सेविष्यन्ते नयनसुभगं खे भवन्तं बलाका:।।
अनुकूल वायु तुम्हें धीमे-धीमे चला रही है।
गर्व-भरा यह पपीहा तुम्हारे बाएँ आकर
मीठी रटन लगा रहा है।
गर्भाधान का उत्सव मनाने की अभ्यासी
बगुलियाँ आकाश में पंक्तियाँ बाँध-बाँधकर
नयनों को सुभग लगनेवाले तुम्हारे समीप
अवश्य पहुँचेंगी।