भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अनुनय / निज़ार क़ब्बानी
Kavita Kosh से
|
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
दूर रहो
मेरे दृष्टिपथ से
ताकि मैं रंगों में कर सकूँ अन्तर ।
दूर हो जाओ
मेरे हाथों की सीमा से
ताकि मैं जान सकूँ
इस ब्रह्माँड का वास्तविक रूपाकार
और खोज कर सकूँ
कि अपनी पृथ्वी है सचमुच गोलाकार ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह