भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अन्तर-2 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मगरमच्छ नें
मगरमच्छी सें कहलकै
आदमी आरो हमरा में
नै छै कोनो अन्तर
ठगै लेली आँसू ऊ भी बहावै छै
आरो हम्में भी
एक अंतर छै
ऊ धरती पर रहै छै
हम्में पानी में