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अपनी-सी मृत्यु के बाद / दिविक रमेश
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मेरे लिए अकस्मात था
हाथों का जुड़ना
और सिरों का झुकना भी ।
इतना ज़रूर था
कि यह सब तहेदिल से था
मैंने पहली बार ख़ुद को
महज़
इन्सानों के बीच पाया था ।