अपनी 
पीड़ा की 
नुमाइश करके
बेहिसाब तारीफ़ें बटोरीं
ऐ मेरी आत्मा !
मेरे निकट आ
और 
मुझपर थूक दे !
(रचनाकाल: 2015, दिल्ली)
अपनी 
पीड़ा की 
नुमाइश करके
बेहिसाब तारीफ़ें बटोरीं
ऐ मेरी आत्मा !
मेरे निकट आ
और 
मुझपर थूक दे !
(रचनाकाल: 2015, दिल्ली)