पन्दरा अगस्त सैंतालिस मैं हमनै देश आजाद कराया रै॥
हजारां लाखां बीर मरद जिननै सब किमै दा पै लाया रै॥
1
एक छत्र राज अंग्रेजां का जड़ै सूरज कदे छिप्या नहीं
बाहणा था व्यापार करण का लालच उनपै दब्या नहीं
गूंठे कटवाए कारीगरां के जुलम उनका घट्या नहीं
मजदूर किसान लूट लिए मेहनतकश कदे हंस्या नहीं
एका करकै जंग मैं उतरे फिरंगी ना भाज्या थ्याया रै॥
2
आजाद भारत का सपना देष पूरा आत्मनिर्भर होवै
शिक्षा मिलै सबनै पूरी ना कोए बालक भूखा सोवै
महिला पै हिंसा खत्म हो अपणे घरां चैन तै सोवै
छुआछात नहीं रहैगी ना कोए सिर पै मैला ढोवै
सुभाष बोश भगत सिंह नै इन्कलाब का नारा लाया रै॥
3
देश के मजदूर किसानां नै पसीना घणा बहाया फेर
माट्टी गेल्यां माट्टी होकै कई गुणानाज उगाया फेर
कई सौ लोगां की कुर्बानी डैम भाखड़ा बनाया फेर
हरित क्राांति हरियाणे मैं एक बै नया दौर आया फेर
दस की तो खूब ऐश हुई नब्बै जमा खड़या लखाया रै॥
4
देश और तरक्की करै म्हारा वैश्वीकरण का नारा ल्याए
झूठ मूठ की बात बणाकै हम भारतवासी गए भकाए
ऐश करैं ले करज बदेशी देष के बेच खजाने खाए
बदेशी कंपनी खातर फेर झट पट दरवाजे खुलवाए
रणबीर सिंह मरै भूखा नाज गोदामां मैं सड़ता पाया रै॥