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अभिवादन / कीर्तिनारायण मिश्र

आइयो आँजुरि नहि खुजि सकल
आ तरहत्थीकेर बीचमे
समर्पण केर फूल पिसा कए रहि गेल।
आइयो अर्द्धनिमीलिते रहल नेत्र
आ आँखिक कोरमे
अभिवादन केर चित्र नोर बनल रहि गेल।

आइयो अकम्पित रहल ठोर
प्रश्नातीत मुद्रा
निश्चल अंग-प्रत्यंग।

कतेक भरिगर रहै ओ साओन
जे अपन सम्पूर्ण आवेगमे समेटने
बिनु बरसले चलि गेल।