नज़र में हिलोर शरारत की
अभी तो लगी थी लहराने;
होठों पर थे लगे थिरकने
अभी अभी तो अल्हड़ गाने;
अभी-अभी तो शुरू किया था
आँचल से खिलवाड़ लाज ने;
सीधे-सादे भाव निरंकुश;
अनजाने थे लगे पिघलने;
दाँतों से यों होठ दबाना
अभी-अभी सीखा था तुमने !
कच्ची-पक्की अपनी तुकबन्दी
अभी लगा था मैं भी रचनेब !
उस पहली तुकबन्दी में से
कुछ भी न किसी को भाता है;
पर मेरा मन उसे याद कर
कभी कसकता, खिल जाता है ।
मराठी भाषा से अनुवाद : स्मिता दात्ये