Last modified on 7 जुलाई 2014, at 17:32

अम्ल, क्षार और गीत / 'सज्जन' धर्मेन्द्र

मेरे कुछ मनमीत
अम्ल, क्षार और गीत

एक खट्टा है
दूसरा कसैला है
तीसरे में सारे स्वाद हैं

पहला गला देता है
दूसरा जला देता है
तीसरा सारे काम कर देता है

पहले दोनों को मिलाने पर
बनते हैं लवण और पानी
अर्थात खारा पानी
अर्थात आँसू
और तीनों को मिलाने पर
बन जाता हूँ मैं