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अलस रस / भवानीप्रसाद मिश्र
Kavita Kosh से
जैसे दर्द चला जाता है
ऐसे चला गया
उत्साह का एक मौसम
और हमने आराम की साँस ली
की अब थोड़े दिनों तक
हमारी सुबह-शामों की ख़बर
हम नहीं रखेंगे
दूसरे रखेंगे
हम केवल पड़े रहने का सुख
चखेंगे हौले–हल्के
दुःख की तरह तीव्र
उत्साह का मौसम
चला जो गया है!