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अवलोकन / विमल कुमार
Kavita Kosh से
क्या मैं ठक गया हूँ
कि सारी दुनिया बीमार है
क्या मैं नाराज़ हो गया हूँ
कि यह शहर मुझसे डरा है
क्या मैं हत्यारा हूँ
कि सामने एक आदमी मरा पड़ा है
क्या मैं लालची हूँ
कि हाथ किसी का खाली है
क्या मेरी जुबान गन्दी है
कि किसी के मुँह में गाली है