भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अहम् डेटा अस्मि / ऋचा जैन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं डेटा हूँ
समन्दर किनारे क्लिक-डेटा
सैलून में टैप पेमेंट-डेटा
ट्रेन में सेल्फी-डेटा

बड़ा सहज है मेरा पैदा होना
टच, स्वाइप या इंसर्ट
और बस, देखो मैं आ गया–गर्भ में

न, न, उस जैविक गर्भ में नहीं
हर टैप, स्कैन और स्वाइप पर स्थानांतरित होता है एक डी. एन. ए.
खिंच जाता है एक अंश मेरा
परिवर्तित होने बाइट में
मैं बाइट्स बन रहा हूँ
मेरा व्यवहार कैद हो रहा है उनकी पंक्तियों और स्तंभों में
मेरी प्राथमिकताएँ और मेरी आवश्यकताऐं-शून्यों और एकों में
एनालॉग से डिजिटल
रंगीन से श्वेत-श्याम
दशमलव से द्वयंक-बन रहा हूँ मैं, बढ़ रहा हूँ मैं
मेरे कथन– 'कैप्चर्ड' मेरा लेखन– 'कैप्चर्ड' मेरा दर्शन– 'कैप्चर्ड' मेरा श्रवण–कैप्चर्ड'
मेरा चिंतन, कौन जाने–शायद वह भी
 
और मैं-परस्पर क्रियाशील आत्मघात करने में
अपने ही अति-परिष्कृत फ़ोन और कार्ड से
जैसे ये मेरे डिजिटल बंदूक और चाकू
तने हैं मेरी ही तरफ
मारते हैं गोली, काटते हैं
और बना देते हैं मुझे बड़े डेटा बाज़ार में एक वस्तु

हर पल बढ़ रहा हूँ, पूरा हो रहा हूँ
और तब वे जान जाएँगे मुझे पूरा का पूरा
कि मुंबई, लंदन या विएना
वेज, नान-वेज या वीगन
पोलो, राल्फ लॉरेल या गैप
कॉमेडी, ट्रैजेडी या रोमांस

मेरा विस्तार हर जगह-फेस बुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यू ट्यूब, गूगल-ड्राइव क्लाउड्ज़ में भी
मेरा वजन बढ़ रहा है-लगातार
कितना हो गया?
क्या तैयार हूँ पैदा होने के लिए?
कितने जीबी का हूँ? 2 जीबी 3 जीबी! हाँ हाँ–3 जीबी बढ़िया है!
डाउनलोड, सिजेरियन, कैंची
कट, कॉपी, पेस्ट और बस

मैं आ गया बाज़ार में–एक चिप में बंद
मुझे खरीद लिया जाएगा

चुनावी उठा-पटक के लिए, व्यापारिक रणनीतियों के लिए
मार्केटिंग के लिए, शेयर बाज़ार के लिए
मेरे ही मेल-बॉक्स को स्पैम करने
मुझे मुझसे ही लुभाने के लिए
वे मुझे खरीद लेगें
न मरने देंगे मरने पर भी
 
मैं राख हो जाऊंगा लेकिन फिर भी
जिंदा रहूँगा ग्रिड में
अटका, अपने डिलीट होने का इंतजार करता
सदैव शाश्वतं च
मिट्टी से डेटा तक
अहम् डेटा अस्मि