Last modified on 10 जुलाई 2010, at 20:20

अहो हरि ऐसी तौ नहिं कीजै / भारतेंदु हरिश्चंद्र

अहो हरि ऐसी तौ नहिं कीजै।
अपनी दिसि बिलोकि करुनानिधि हमरे दोस न लीजै॥
तुव माया मोहित कहँ जानै कैसे मति रस भीजै।
’हरीचंद’ पहिलें अपनो करि फिर काहे तजि दीजै॥