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आओ बेटी बचावां / रचना शेखावत
Kavita Kosh से
मा देवै जलम
जी सा पाळै
मा बिरमा म्हारी
जी सा बिसनूं
म्हारो लेखो
म्हारो करयोड़ो करम
म्हारो संकळप महेस होय‘र
समूळा पडपच सुंवारै
देखो
बेमाता री गिणत में
मा पै‘ली है
आओ, आपां इज
पै‘ली राखां मा नै
आओ बचावां बेटी नै।