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आजकल / मुकेश मानस
Kavita Kosh से
मैंने लिखा एक शब्द
और शब्द अर्थहीन हो गया
मैंने लिखा एक वाक्य
औए वाक्य असंगत हो गया
मैंने लिखी एक कविता
और कविता मज़ाक हो गई
आजकल की दुनिया
बड़ी तेजी से बदल रही है।
2010