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आत्म आंकलन / हेमा पाण्डेय
Kavita Kosh से
हमारे जीवन की
गुणवत्ता हमारी क्रियाओ,
हमारे विचारो
हमारे संघर्षो की
प्रतिध्वनि है।
हम तक वही
लोट रहा है
जो हमने दिया।
इन पलो से गुजरते
करे आत्म आवलोकन।
अतीत के काम में
हमने कैसे सुर फुके.
वर्तमान की मिट्टी में
हम क्या बो रहे है।
जीवन की इस कथा को
हम कैसे लिख रहे है।
जीव कि भौतिक स्थितियाँ
बेहतर कर देने से
जीवन हो जाता बेहतर।
मानव के लिए नही
होता इतना पर्याप्त
स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग का
बेहतर परिणाम।
जीवन की गुडवत्ता के
बेहतर होने का
पर्यायवाची नहीं है॥