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आदत पुरानी / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
काम से जी
चुराते लोग
अपने को धोखा देते हैं
नहीं सीखना चाहते
नयी चीजे़ बातें
अंधेरे कुएं के मंेढक
सरकारी कार्यालयों में
बैठे बाबू ताश पीटते हैं
दारूख़ोर, देर रात
पहुंचते घर
पत्नी-बच्चों से मार-पीट कर
़ख़ुद को संस्कारी बताते हैं !
नालायक़
सरकारी बाबू