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translation of rath yoom kahane lag achand by ramdhari singh dinkar plz mail to h_hasin@yahoo.com
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तुलसीदास का दोहा -
आवत ही हरशै नहीं , नैनं नहीं सनेह |
तुलसी तहा न जाईये , चाहे कंचन बरसे मेह ||
कहाँ से लिया गया है?