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आपने मनऽ सें / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
Kavita Kosh से
जागऽ जागऽ हो किसान भैया अपने मनऽ सं
आपने मनऽ सं हो भैया आपने मनऽ सं।
जागऽ-जागऽ हो...।
सब किसान मिली खेती करबै, बुनबै गेहूॅ-धनमा
दाल-रोटी भरपेट खाइकं, होली मं गैबैं गनमा
भूट्ठा खेतऽ मं मचनमा आपने मनऽ सं।
जागऽ-जागऽ हो...
सुबहे जगबै, रात केॅ सूतबै, दिन भर करबै काम
मेहनत सेॅ हम्में नैं डरबै, लहू बहै चाहे घाम,
हमरऽ खेते बाबा धाम भैया आपने मनऽ सं
जागऽ-जागऽ हो...।
आब नै सहबै हम्मं भैया विदेशी अपमान
जनसंख्या पर रोक लगैबै दूयेगो सन्तान
दोनों पढ़तै सुबहो-सॉझ, भैया आपने मनऽ सं
जागऽ-जागऽ हो...
आतंकी सेॅ गाँव-शहर मं फैली गेलै दंगा
रोक लगावऽ हेकरा पेॅ सब तभीये रहभे चंगा
बोलऽ-बोलऽ इन्कलाब भैया आपने मनऽ से
जागऽ-जागऽ हो...।