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आप क्या कहते है / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
लकड़ियों की चटख के साथ
जलती है होलिका, बचता है प्रहलाद
उन्मादित जनादेश का जोर
बहुमत का शोर
विभीषण की जय
टूटता है विश्वास
चलती है व्यवस्था
न्याय का सिद्धांत
होलिका और विभिषण
पैदा होते रहे हैं
पैदा होते रहते हैं
कुछ इसे अनिति
कुछ राजनिति कहते हैं।