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आरसी / राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'
Kavita Kosh से
दीनूगै पैली देखूं
थांरौ मूँडौ
चैरै माथै जखम
थेथडीज्या
रगत अर पीप।
ओ विडरूप ई
दाय आवै किणीज नै
अर थूं बणै विलम
बणै जगचावौ
चटखारा लेय नै चाटै थनैं
दरसावै हियै-तणौं नेह
क्रोड़ां मिनख-
विहाणैं।
आरसी तौ है थूं
मिनख समाज अर देस रौ
सगति बणै निजोरां री
खाल उधेड़ै मिनखां री -
जका मांय आसरौ
भेड़िया-स्यारियां रौ।
रचणियो दीन्ही
अेक दिन री उमर
पण नित रा लेवै थूं
नूवां जलम
दरसावै नूवां चितराम
थूं सामटै सगळी झ्यांन
अणछेह थांरौ विगसाव।
न्हाख दे तांचा हेत
बण थूं लाडेसर ....
सांचलौ चोथौ थांबौ।