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आवे बसन्त दुअरिया / आनन्द सन्धिदूत

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आवे बसन्त दुअरिया
मगन मन नाचले गोरिया।
मधुरे पवन रस बेनियाँ डोलावे
नदिया लहरि दरपनवाँ देखावे
धरती पेन्हावेले चुनरिया
मगन मन नाचेले गोरिया
नन्ही मुटी चिरई बजावेले पिपिहरी
केहू पीटे थारी लोटा केहू पीटे थपरी
पिपरा बजावेला खजरिया
मगन मन नाचले गोरिया
धनि तोरी नगरी के धनि तोरी बखरी
ज्हवाँ पिरितिया सरगवा से उतरी
धइले सुगन्ध अँकवरिया
मगन मन नाचले गोरिया