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आस्था का उपहार / महेन्द्र भटनागर

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भाग्य से
अथवा जगत से
हर प्रताड़ित व्यक्ति को
आजन्म संचित स्नेह मेरा
है समर्पित !

लक्ष्य हैं जो
सृष्टि के अव्यक्त निर्मम हास के
या जगत उपहास के
प्राण गौरव की सुरक्षा के लिए
लघु गेह मेरा
है समर्पित !

ओ, विश्व भर के
पददलित पीड़ित पराजित मानवो !
जीवन्त नव आस्था
नये विश्वास के
मद महकते उत्फुल्ल गुलदस्ते
तुम्हारे साधु स्वागत में
समर्पित हैं !

जीवन को सजा लो,
लोक की मधु-गंध
प्राणों में बसा लो !