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आस्था - 31 / हरबिन्दर सिंह गिल
Kavita Kosh से
क्या मातृभूमि के नाम पर
ये नयी सीमाएँ
समाज की एक ऐसी जरूरत हैं
जिनके बिना
मानव जी नहीं सकता।
हाँ पुराने जमाने में
यह राजाओं की जरूरत थी
परंतु आज जब
समय प्रजातंत्र का है
अर्थात्
शासकों की ताकत की जगह
जनशक्ति ने ले ली है
फिर क्यों
चारों तरफ जंगली घास की तरह
फैल रही हैं देशों की नयी सीमाएँ।
यह शर्म की बात है
विज्ञान के इस युग में
इस जंगली घास को
मानव खत्म नहीं कर सका है।