मानव कितना
अन्जान है
अपना इतिहास बनाने
की चाह में
मानवता को
इतिहास के पन्नों में
लुप्त
कर देना चाहता है।
परंतु
वह भूल रहा है
इतिहास कभी भी
माफ नहीं करता
जो करता है
खिलवाड़ माँ से
क्योंकि वहाँ
जिस गोद में
खेलकर
हुआ है बड़ा
उसके
दामन को ही
चला है करने कलंकित।