(अग्निशेखर जी के लिए )
कश्मीरी पंडित
अब कश्मीर में नहीं रहते
वे मिल जाऐंगे दिल्ली इलाहाबाद या गाजियाबाद में
इनकी संपत्ति हडप ली गई
पुरूषों की हत्या हुई
स्त्रियों का बलात्कार …
जो बचे थे उन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा
घाटी में उनके घर की चिमनियों से
धुँआ उड़ता था
बच्चे घूमा फिरा करते थे
उड़ रहा है धुँआ अब बारूद का
घूम रहे हैं आतंकवादी
घूम रही है टुकड़ी सेना की
डल झील
चिनार के पेड़
घाटी
सब चुप हैं
चुप हैं हवाएँ दिशाएँ
बेघर हैं वे दशकों से
अब न पन ध्युन 1ही मनाया जाता है
न हेरथ 2ही उस तरह
इंतज़ार है नवरेह 3पर्व पर
कश्मीर लौटने का
फिर बनेगी नेनी कलिया 4
दम आलू 5,मुजी चेटिन 6
और खीर
जब वे लौटेंगे एक दिन
अपने चिनारों के नीचे
होगी राहत महसूस
कि अब न होगा आठवाँ विस्थापन -
1. भादों में मनाए जानेवाला पारंपरिक उत्सव
2. शिवरात्रि
3. कश्मीरीपंडितों का नया साल
4.5.6. कश्मीरी पंडि़तों के पकवान