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इकलौती राज़दार / फ़रीदे हसनज़ादे मोस्ताफावी
Kavita Kosh से
बात तुम्हारे प्रेमपत्रों के पुलिन्दे की नहीं है
जो सुरक्षित हैं स्मृतियों की मेरी तिज़ोरी में
न ही फूलों और फलों से भरे हुए थैलों की है
जिन्हें घर लौटते शाम को लेकर आते हो तुम
उस चौबीस कैरेट सोने के ब्रेसलेट की भी नहीं
जो शादी की सालगिरह पर भेंट दिया था तुमने
तुम्हारे प्रेम की इकलौती राज़दार है
प्लास्टिक की वह बदरंग कूड़ेभरी बाल्टी
जिसे चौथी मंज़िल से एक-एक सीढ़ी उतरते हर रात बिला नागा
मेरे थके अलसाए हाथों से परे हटाते हुए बाहर लिए जाते हो तुम।
अंग्रेज़ी से अनुवाद: यादवेन्द्र पांडे