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इज़्ज़तपुरम्-20 / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
पैसेन्जर ट्रेन
सेकण्ड- क्लास
कम्पार्टमेन्ट में
शोहदों के
झुण्ड में फँसी हुई
अकेली गुलाबो
‘अबे छोकरी‘
का सम्बोधन
उछाल
एक ने डाल दिया
नोट पाँच का
छोटी बनियाइन मं
छिटक कर वह
दूर हटने की कोशिश की
तभी विद्रूप ठहाकों के बीच
कसमसा उठी
चार जोड़ी बाँहों में
आरोप
डिब्बे भर में
उड़ाती धूल
फालतू
फैलाती प्रदूषण
आदेश -
फेंक झाड़ू
चुपचाप बैठ जा
ऊपरी बर्थ पर
सजा-
लटके पाँवों को
फैलाकर दिखा
सरकस की लड़कियों की तरह
जादुई कमाल
इनाम -
बैठे -बैठे
पैसे मिलेंगे तुझे
मुफ़्त के
असमर्थ छटपटाहटें
स्वरहीन पुकारें
भय के जबड़े
रह गये खुले
असहनीय-
दृश्य पर
रामफल क्रुद्ध हो
उतारकर
सिर पर से
मूंगफली का टोकरा
चीखकर दौड़ा
चार के मुकाबले में
आ डटा अकेला