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इज़्ज़तपुरम्-71 / डी. एम. मिश्र

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वर्तमान यात्रा में
अपमार्ग अति सुलभ
उन्मत्त प्रभाव में
अव्यस्कों को वर्जित
आकृतियाँ बाजारों में
पटी पड़ी

वर्जनाएँ जिन पर हों
वही उसे तोड़े भी
और जो शिष्ट बने
ऊँचे स्वरों में बोलें
मानसिक रति में
विलीन से

उँगलियों की हरकतें
चाक्षुष कैमरे स्वचालित
मॉडलिंग / पॉनाग्राफी
सेक्सी विज्ञापनों में
मादक अंगों को
उघारकर
उभारकर
क्रियामग्न लाइव शो
और स्क्रीन पर
उतार दें
हू-ब-हू
कला के पार्श्व में
जैसे घर-घर हो
कोणार्क-खजुराहो