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इश्क़ करना तेरी फ़ितरत ही सही / मधुप मोहता
Kavita Kosh से
इश्क करना तेरी फितरत ही सही
सोच ले, इश्क इबादत भी नहीं
तुझे गुमान है प्यार है निभ जाएगा
मुझे तो इश्क की आदत भी नहीं
ये और बात है कि अब दिल नहीं लगता
द्दिल्लगी दिल की ज़रुरत भी नहीं
ये सच है कि तुझे भूल नहीं पाउँगा
दिल है, और इसे दर्द की हसरत भी नहीं
तेरी बेताब निगाहें, उनमे उतरता लहू
ये सच हैं, मगर सच ये हकीकत तो नहीं
मैं करीब से भी गुज़रा तूने जाने भी दिया
मुझे जीने न दे तुझ में ये शिद्दत भी नहीं