भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ईश्वर और मनुष्य / हर्षिता पंचारिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1.
अनेक नाम हो सकते है ईश्वर को पुकारने के
पर तुम ईश्वर को हमेशा मनुष्य रूप में ही पुकारना

कम से कम इससे ईश्वर को होगी
और अधिक सहजता
क्योंकि ईश्वर के "नाम" से अधिक ईश्वर-सा "काम" ही है जो
पृथ्वी को और भी अधिक सुंदर बना सकता है!

2.
किसी पेड़ में देवता वास कर सकते है,
किसी नदी के जल से ईश स्नान कर सकते है,
किसी पशु पर देव सवारी कर सकते है,
और तो और एक पत्थर में भी प्रभु दिख सकते है,

फिर तुम तो मनुष्य ठहरें ना,
तुम बेशक ईश्वर न बन सको पर ईश्वर सरीखे तो बन ही सकते हो!

3.
ईश्वर तुम्हें कब, कहाँ और कैसे मिलेगा
यह तुम नहीं जानते हो,
पर उससे मिलने की सम्भावनाएँ बनी रहें इसलिए
इन सभी प्रश्नों के परे
"वह मुझसे क्यों मिलेगा?"

को सोचते हुए
मैं स्वयं को नित्य संवार रही हूँ।