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ईश्वर का सुरक्षा-कवच / शलभ श्रीराम सिंह

दूर-जंगल से
गुज़रते हुए
घोड़ों की टापों से
आस-पास की बस्तियों में
सन्नाटा छा गया है !

किसी
बेहद हँसमुख और मासूम
बच्चे की खाल
उधेड़कर मैदान में फेंक दी गई है !
ईश्वर
उसी खाल के नीचे छिप कर
अपने आपको
सुरक्षित महसूस कर रहा है !
(1966)