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उजला भोजन गाए धन / हरियाणवी
चर्चा
हरियाणवी लोकगीत
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रचनाकार:
अज्ञात
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उजला भोजन गाए धन, घर कुलवंती नार।
चौथे पीठ तुरंग की बहिसत निसानी चार।।