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उजाड़ / मुइसेर येनिया

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एक लहर
उठ रही है
मेरी ऊँचाई तक

ज़रा सुनों
हाँ तुम
मेरी ख़ूबसूरत ख़ामोशी
मेरा हृदय बँट रहा है द्वीपों में
तुम्हें प्यार करते हुए
यह क्यूँकर हुआ ?
मैं कैसे पहुँच गई
उस दुनियां में
जहाँ मैं टहल रही थी एक ज़ख्म की तरह
अब बस
बनी रहने दो ध्वनि
एक लम्बा अरसा हुआ
यहाँ से हवा को गए हुए
उफ़, वह खूबसूरत घोड़ा जो मेरे दिल के इर्द-गिर्द घूम रहा है

मैं किसी की देह नहीं
सिर्फ़ एक सड़क हूँ
उजाड़

तुम रहे होंगे
एक प्रार्थना ।